"राजनीति "के कुचक्र में जो फंसा वो गया |हम कई बार राजनेताओ को दोषी ठहराते है की यह नेता भ्रष्ट है |इस नेता ने या इस पार्टी ने देश को बर्बादी के कगार पर खड़ा कर दिया है ,मगर सत्य तो यह भी है की जनता स्वयं भ्रष्ट है |"नेता जी कहिन की एक सीरियल देखि थी |उसमे समाज में फैले राजनीती के भ्रष्ट स्वरूप और समाज में फैली विषमताओ को जानते बुझते स्वीकारते हुए लोग और स्वयं भी राजनीती का एक हिस्सा बनने की ललक लोगो के मन में किस कदर घर कर चुकी है यह देखि | जो आज घर घर देखा जा सकता है |आज हर घर का एक सदस्य नेता है |कल को घर में किसी प्रकार की समस्या आन खड़ी हुई तो ख़ुद कमान संभाल लो और अब तो विसंगति ये हो गई है की शायद भगवान् भी नेताओ से डरने लगे है |ना जाने कब उनके रहे सहे अमन में कोई ताला ठोक दे |और परम्पराओ की धज्जिया उडा दे |
श्री राम चंद्र जी ने राजनीती के ८ सिद्धांत निर्धारित किए थे |
१.धृति (उद्वेग का आभाव )
२.दक्षता (आलस्य का आभाव )|
३.प्रगल्भता (निसंकोच भय रहित सभा में बोलना )|
४.धारणशीलता (जानी सुनी को ज्ञात रखना )|
५.प्रवचन शक्ति दृढ़ता (विपरीत स्थिति में क्लेश सहन करने की क्षमता )|
६.प्रभाव |
७.मैत्री (दुसरो को अपने और आकृष्ट करने की क्षमता )|
८.सत्य (प्रतिज्ञापालन )आदि|
किंतु वर्तमान नेता कही राम का तो कही उनकी परिकल्पना को आधार मान कर राम की राजनितिक महत्ता को तार तार कर चुके है |
वर्तमान समय में पुरा विश्व संक्रमण काल से गुजर रहा है |एक तरफ़ राजनेताओ की चुनावी सरगर्मी तो दूसरी और मानव समुदाय को झगझोड़ देने वाली आतंकी गति विधि |बलि केवल मानवत की|एक और सियासत के रखवालो की सियासती चाल से घायल जनता तो दूसरी ओर आतंक के साये में बढ़ता बचपन न जाने कब मौत से पाला पड़ जाए ?
यह राजनीति आज देश का कौन सा भविष्य निर्धारित करेगी ?जबकि सभी जानते है हम बिना कुछ किए ही एक एक दिन मौत के करीब ही बढ़ रहे है |जब तक जीवन है इसे हर पल हरक्षण खुशी से जीना ही मानव जीवन का धर्म है |राजनीति का मतलब है राज को कुशलता से निभाने की निति|देश की जनता ,उनके जान -माल की सुरक्षा |देश में अमन और शान्ति की व्यवस्था |ना की सत्ता की चाह में कुठाराघात करने की निति |
अगर हम सन २००९ की वर्ष लग्न कुंडली का विश्लेषण करे तो इस वर्ष का राजाधिकारी शुक्र है जो शत्रु भावः में सूर्य ,चंद्र और बुध के साथ पाप प्रभाव में है |जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रश्न चिन्ह ही है |राज का स्वामी चंद्रमा भी पाप ग्रस्त होने के कारण सत्ता और सियासत की जंग में राजतन्त्र खतरे में रहेगा कई नेताओ के लिए यह वर्ष शुभ नही रहेगा |भारत का भविष्य भी अपने आप में संकट काल से गुजरेगा |अत्यधिक धन हानि सामान्य जनजीवन को प्रभावित करेगी |