सोमवार, 6 अप्रैल 2009

वर्तमान राजनीती और देश का भविष्य ?













"राजनीति "के कुचक्र में जो फंसा वो गया |हम कई बार राजनेताओ को दोषी ठहराते है की यह नेता भ्रष्ट है |इस नेता ने या इस पार्टी ने देश को बर्बादी के कगार पर खड़ा कर दिया है ,मगर सत्य तो यह भी है की जनता स्वयं भ्रष्ट है |"नेता जी कहिन की एक सीरियल देखि थी |उसमे समाज में फैले राजनीती के भ्रष्ट स्वरूप और समाज में फैली विषमताओ को जानते बुझते स्वीकारते हुए लोग और स्वयं भी राजनीती का एक हिस्सा बनने की ललक लोगो के मन में किस कदर घर कर चुकी है यह देखि | जो आज घर घर देखा जा सकता है |आज हर घर का एक सदस्य नेता है |कल को घर में किसी प्रकार की समस्या आन खड़ी हुई तो ख़ुद कमान संभाल लो और अब तो विसंगति ये हो गई है की शायद भगवान् भी नेताओ से डरने लगे है |ना जाने कब उनके रहे सहे अमन में कोई ताला ठोक दे |और परम्पराओ की धज्जिया उडा दे |

श्री राम चंद्र जी ने राजनीती के सिद्धांत निर्धारित किए थे |

.धृति (उद्वेग का आभाव )

.दक्षता (आलस्य का आभाव )|

.प्रगल्भता (निसंकोच भय रहित सभा में बोलना )|

.धारणशीलता (जानी सुनी को ज्ञात रखना )|

.प्रवचन शक्ति दृढ़ता (विपरीत स्थिति में क्लेश सहन करने की क्षमता )|

.प्रभाव |

.मैत्री (दुसरो को अपने और आकृष्ट करने की क्षमता )|

.सत्य (प्रतिज्ञापालन )आदि|

किंतु वर्तमान नेता कही राम का तो कही उनकी परिकल्पना को आधार मान कर राम की राजनितिक महत्ता को तार तार कर चुके है |

वर्तमान समय में पुरा विश्व संक्रमण काल से गुजर रहा है |एक तरफ़ राजनेताओ की चुनावी सरगर्मी तो दूसरी और मानव समुदाय को झगझोड़ देने वाली आतंकी गति विधि |बलि केवल मानवत की|एक और सियासत के रखवालो की सियासती चाल से घायल जनता तो दूसरी ओर आतंक के साये में बढ़ता बचपन जाने कब मौत से पाला पड़ जाए ?

यह राजनीति आज देश का कौन सा भविष्य निर्धारित करेगी ?जबकि सभी जानते है हम बिना कुछ किए ही एक एक दिन मौत के करीब ही बढ़ रहे है |जब तक जीवन है इसे हर पल हरक्षण खुशी से जीना ही मानव जीवन का धर्म है |राजनीति का मतलब है राज को कुशलता से निभाने की निति|देश की जनता ,उनके जान -माल की सुरक्षा |देश में अमन और शान्ति की व्यवस्था |ना की सत्ता की चाह में कुठाराघात करने की निति |

अगर हम सन २००९ की वर्ष लग्न कुंडली का विश्लेषण करे तो इस वर्ष का राजाधिकारी शुक्र है जो शत्रु भावः में सूर्य ,चंद्र और बुध के साथ पाप प्रभाव में है |जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रश्न चिन्ह ही है |राज का स्वामी चंद्रमा भी पाप ग्रस्त होने के कारण सत्ता और सियासत की जंग में राजतन्त्र खतरे में रहेगा कई नेताओ के लिए यह वर्ष शुभ नही रहेगा |भारत का भविष्य भी अपने आप में संकट काल से गुजरेगा |अत्यधिक धन हानि सामान्य जनजीवन को प्रभावित करेगी |

रविवार, 8 मार्च 2009

लोकसभा चुनाव २००९ ज्योतिषी विश्लेषण


















राजनीती और राजनेता सत्ता के वो दो केन्द्र बिन्दु है जो विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया में अपनी पुनरावृत्ति को पुनः दोहराने के लिए ठीक उसी तरह सत्ता की परिक्रम कर रहे है जिस तरह पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते है |राजनीती का अपना कोई माप दंड नही है |पुनः वादों -कवायदों की रणनीति और भरे हंडो को पुनः भरने की होड़ में केवल आमजनता का जीवन प्रश्नचिन्ह लिए बैठा है |जो संतुष्ट है वो अपनी संतुष्टि को कायम रखना चाहते है ,जो असंतुष्ट है उनकी असमंज्स्यता आज भी बनी है |किसे चुने ?चुनना विवशता रह गया है कारण यदि दस संतुष्ट है वहा एक असंतुष्ट (वो हो सकता है एक नही लाखो -करोडो की आवाज हो ) जो वर्तमान राजनीतीक परिवेश से व्यथित हो वहा विवशता वश उसे भी मौन समर्थन देना पड़े तो इसमे आश्चर्य नही होगा कारण सिस्टम के विरुद्ध हुआ तो रहा सहा भी गया |जानते सब है ,पर मानना कोई भी नही चाहता |आज देश की युवा पीढी राजनेताओ के हाथ की कठपुतली के सिवाय कुछ भी नही है |जिन्हें देश के विकाश के लिए हाथ बढाना चाहिए उनके हाथो में चंद रुपयों के साथ शराब की बोतले थमा दी जाती हो उस राष्ट्र का विकास सम्भव हो यह अपने आप में ही प्रश्न है ?वर्तमान समय में एक ओर देश प्रगति की ओर बढ़ रहा है तो दूसरी ओर हर घर में "तालिबान "का एक क्षेत्र भी निर्मित हो रहा है |"अंगद "की परिभाषा सहज नही अंगद अर्थ ही "अडिग "है जो अपने वचन के लिए दृढ़ संकल्पित था |अंगद चाहता तो रावण के धूर्त वचनों के जाल में फंस सकता था |लेकिन अंगद ने पिता के मृत्यु के कारक 'श्रीराम 'के प्रति द्वेष नही पूर्ण निष्ठां रखा |जिसका प्रमाण आज हमारा स्वतंत्र भारत है |जो अंगद के रूप में महान शहीदों की ही देन है |वर्तमान समय संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है |यहाँ राम का नाम लेकर एक और राजनितिक बिसात बिछायी जाती है तो दूसरी तरफ़ वंशवाद और परम्परा वाद के नाम से चुनावी समीकरण तैयार किया जाता है |एक तरफ़ देश प्रगति की और बढ़ने के लिए प्रयत्नशील है तो दूसरी तरफ़ पुनः चुनावी समर सत्ता ओर सियासत की जंग में जीत -हार पर फ़िर से मोहर लगाने के लिए घमासान राजनैतिक युद्ध शुरू होने वाला है |विधानसभा चुनाव के बाद अब बारी है लोकसभा चुनाव की १६अप्रैल २००९ से शुरू होने वाले चुनाव का परिणाम क्या होगा ?कौन बनेगा प्रधान मंत्री ?आईये इससे पहले कांग्रेस ओर भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान ग्रह दशा पर भी विचार कर ले ||कांग्रेस पार्टी का गठन  जनवरी १९७८ रात्रि ००.०० बजे दिल्ली में हुआ था |कन्या लग्न के ग्रहण काल के उदय में शुक्र की महादशा में कांग्रेश पार्टी का अभियुदय हुआ |यद्यपि गजकेसरी योग एवं सर्पराजराज योग होने के कारण यह पार्टी वर्षो तक शासन करती रही ओर वर्तमान में गढ़बंधन की सरकार हो कर भी सत्ता में रही है |कांग्रेस पार्टी में अन्तर कलह अभी से नही बल्कि पार्टी के निर्माण से ही रहा है किंतु गुरु ग्रह की शुभता के कारण कांग्रेस का वर्चस्व भी अधिक रहा |वर्तमान में कांग्रेश पार्टी की कुंडली में राहू की महादशा चल रहीं है जो २०२०तक प्रभाव रखेगा |इसके विपरीत भारतीय जनतापार्टी का उदय  अप्रेल १९८० में प्रातः ११.१४ बजे दिल्ली में मिथुन लग्न में बुध की महादशा में हुआथा बुध अपने शत्रु केतु के साथ भाग्य स्थान (जो धर्म का भी स्थान है )में होने के कारण पार्टी में संगठनात्मक गुन तो रहा है ,मगर अपने वर्चश्व की लड़ाई में सफर करतेहुएअत्यधिक व्यय ओर धर्म के नाम पर अपनी रणनीति से आगे बढ़ता रहा है |वर्तमान में शुक्र की महादशा २०१२ तक प्रभाव में है |लग्न कुंडली में शुक्र व्यय भावः में होने के कारण भारतीय जनतापार्टी पुनः जनता पर वादों के साथ धर्म के नाम पर अपने प्रचार प्रसार को विस्तार देने तैयार रहेगा यही नही धन का काफी व्यय इस चुनाव का आकर्षण रहेगा|१६ अप्रैल २००९ में एक ही चरण में होने वाले चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में जीत उसी की होगी जो अंगद के सिद्धांत को सार्थक कर सकेगा |अपनी दृढ़ता और एक जुटता में अडिग रहेगा |